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डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम यांच्या वरिल मराठी, हिंदी ,भाषण

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम मराठी भाषण 

अग्नीबाणाचा शोधक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
जन्म-इ. स. १९३१
रामेश्वरमधील कनिष्ठ मध्यमवर्गात जैनुलद्दीम कलाम या अशिक्षित पण बहुश्रुत पित्याच्या व सहनशील मातेच्या पोटी अब्दुल कलाम यांचा जन्म १९३१ साली झाला. रामेश्वरम ते धनुष्कोडी असा प्रवास करणाऱ्यांचे नाविकाचे काम करणे हा वडिलांचा व्यवसाय. सीताराम कल्याण या वार्षिक महोत्सवात रामाची मृर्ती आणण्याचा मान त्यांच्या नावेला मिळत होता. ते धार्मिक वृत्तीचे होते. शिवमंदिराचे मुख्य पुजारी पाक्षी लक्ष्मणशास्त्री हे त्यांचे घनिष्ट मित्र. त्या दोघांची आध्यात्मिक चर्चा ऐकण्यात कलामचे बालपण गेले.
सर्वधर्मसमभावाची शिकवण लहानपनापासुन त्यांचा मनावर ठसलेली होती. प्राथमिक शिक्षण आटोपून पुढील शिक्षणानंतर त्यांना हवाई दलात जायचे होते. त्याआधी भौतिकशास्त्रातील पदवी घेऊन त्यांनी मद्रास (चेन्नई) इन्स्टीटयूट ऑफ टेकनोलॉजीत प्रवेश घेतला. तिथे त्यांनी एरोडायनॉमिक्सचा परिचय करून घेतला व उड्डानाच्या क्षेत्रातच जीवन व्यतीत करण्याचा निर्धार केला. पण हवाईदलात त्यांना प्रवेश मिळाला नाही. स्वामी शिवानंदांशी त्यांची भेट झाली. ”तुझ्या नशिबी याहीपेक्षा काहीतरी उदात्त आहे.” असे ते म्हणाले. पुढे ते संरक्षण आणी उत्पादन विभागाचे प्रमुख बनले. व १९५८ साली ज्येष्ठ वैज्ञानिक अभियंता बनले.
त्यांनी संपूर्ण देशांतर्गत बनावटीचा हॉवरक्रफ्टचा आराखडा तयार करून तो संरक्षणमंत्री व्ही. के. कृष्णमेनन यांना दाखविला व एका वर्षात त्यांनी हॉ वरक्रफ्टचा तयार केली. ‘नंदी’ हे त्यांचे नाव. पण प्रयोग पाहून आणखी उच्च प्रतीची हॉवरक्रफ्ट तयार करण्याची संधी मात्र मिळाली नाही. पुढे डॉ. विक्रम साराभाई यांच्याशी त्यांचा स्नेह जमला.
अमेरिकेत टिपू सुलतानच्या युद्धतंत्रातील एक अग्निबाण पाहून त्यांनी अग्निबाणाच्या निर्मितीचे संशोधनात्मक काम सुरु केले. रोहिणी या उपग्रहाणे सुरु झालेल्या हा प्रयत्न पृथ्वी,अग्नी, आकाश, नाग अशी विविध पल्ल्यांची क्षेपणास्त्रे तयार करून थांबला. त्यांचा वैज्ञानिक प्रवास आता उपग्रहांपर्यंत पोहोचला आहे.
डॉ. साराभाई, प्रा. मेनन,डॉ. राजा रामण्णा,डॉ. धवन, डॉ. ब्रम्ह प्रकाश यांचे कर्तुत्व व सहकार्य यांचा त्यांनी आपल्या आत्मचरित्रात कृतज्ञतापुर्वक उल्लेख केला आहे. ”मला भाषणे करणे जमणार नाही, पण उपग्रहाला कवेत घेऊन ताशी २५ हजार कि. मी. च्या वेगाने जाणारा अग्निबाण बनवायला सांगा, ते जमेल” एका सभेत ते उद्गारले. त्यावेळी ते इंदिरा गांधीसह त्या सभेत उपस्थित असलेल्या सर्वांनी उभे राहून त्यांना मानवंदना दिली.
त्यांच्या या उत्तुंग कार्याबद्दल भारत सरकारने त्यांना भारतरत्न हा सर्वाच्च नागरी पुरस्कार देऊन महान गौरव केला.

हिंदी भाषण 

हमारे अन्दर थोड़ी सी अच्छाई होती है तो हमें लगता है कि हम कितने अच्छे हैं ! किसी नेत्रहीन को सड़क पार करा दिया तो लगता है कि कुछ बड़ा काम कर दिया…किसी स्वच्छता अभियान में झाड़ू उठा ली तो भी हम कुछ proud सा फील करते हैं…ठीक है! अपनी जगह ये काम भी ठीक हैं।
लेकिन जब हम महात्मा गाँधी और Dr. A.P.J Abdul Kalam जैसे महान लोगों के जीवन में झांकते हैं तो समझ आता है कि  हम तो कुछ भी नहीं हैं …literally कुछ भी नहीं।
इनकी सादगी और महानता के बारे में पढ़ कर आँखें नम हो जाती हैं कि कोई ऐसा भी हो सकता है भला! और फिर लगता है कि अगर इनके जैसा बनना है तो अन्दर से बहुत सफाई करनी होगी…खुद को बहुत pure बनाना होगा…and I really wish कि इनसे प्रेरणा लेकर मैं और बहुत से लोग ऐसा कर पाएं !
 आज पंद्रह अक्टूबर; डॉ. कलाम के जन्मदिन के शुभ अवसर पर मैं उनकी life से related कुछ बेहद inspiring incidents आप सबसे share कर रहा हूँ।
आइये हम इन्हें सिर्फ पढ़ें नहीं, बल्कि इनसे मिलने वाली सीख को अपने जीवन में उतारने का प्रयास भी करें।
Inspiring Real Life Incidents from Dr. A.P.J Abdul Kalam’s Life in Hindi
  1. जब डॉ कलाम बतौर वैज्ञानिक काम करते थे तो एक बार उनकी टीम के एक सदस्य ने घर जल्दी जाने की अनुमति मांगी ताकि वो अपने बच्चों को एक exhibition में ले जा सके। लेकिन व्यस्तता के कारण वो ये बात भूल गया। शाम को sorry feel करता हुआ जब वो थोड़ी देर से घर पहुंचा तो पता चला कि डॉ कलाम बच्चों को प्रदर्शनी दिखाने ले गए हैं।
  2. 2013 में San Diego, California, में आयोजित एक समारोह में जब खाने के वक्त कुछ भारतीय बच्चे डॉ कलाम से मिलने पहुंचे तब उन्होंने एक स्टूडेंट को अपनी प्लेट में खाने के लिए कहा। Insist करने पर बच्चे ने उनके सलाद में से spinach की एक leaf उठा ली, जो उसकी बाकी की ज़िन्दगी के लिए leaf of inspiration बन गयी।
  3. जब डॉ कलाम DRDO में थे तो किसी बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए उसकी बाहरी दीवारों के उपर कांच के टुकड़े लगाने का suggestion आया। पर उन्होंने इसे ये कहते हुए reject कर दिया कि ऐसा करने से birds जब दीवार पर बैठेंगी तो उन्हें चोट पहुँच सकती है।
  4. एक बार डॉ कलाम जब स्कूल के बच्चों को lecture दे रहे थे तभी बिजली में कुछ गड़बड़ी हो गयी । डॉ कालम उठे और सीधा बच्चों के बीच चले गए और उन्हें घेर कर खड़े हो जाने के लिए कहा। इस तरह से उन्होंने लगभग 400 बच्चों के साथ बिना माइक के संवाद किया।
  5. एक बार क्लास 6th के एक स्टूडेंट ने “Wings Of Fire”  किताब पढने के बाद डॉ कलाम का एक स्केच बनाया। परिवार वालों ने encourage किया कि इसे President को भेजो। लड़के ने सोचा इससे क्या होगा, ये तो उन्हें मिलेगा भी नहीं, पर फिर भी बहुत जोर डालने पर उसने स्केच भेज दिया। कुछ दिन बाद उसे डॉ. कलाम का sign किया हुआ Thank You note आया।
  6. राष्ट्रपति बनने के कुछ दिन बाद वो किसी इवेंट में शरीक होने वो केरला राज भवन, त्रिवेंद्रम गए। उनके पास अपनी तरफ से किन्ही दो लोगों को बुलाने का अधिकार था, और आप जान कर हैरान होंगे कि उन्होंने किसे बुलाया- एक मोची को और एक छोटे से होटल के मालिक को। दरअसल, डॉ. कलाम बतौर scientist काफी समय त्रिवेन्द्रम में रहे थे, और तभी से वे इन लोगों को जानते थे, और किसी नेता या सेलेब्रिटी को बुलाने की बजाये उन्होंने इन आम लोगों को importance दी।
  7. IIT (BHU), Varansi के दीक्षांत समारोह में डॉ कलाम मुख्य अतिथि थे। जब वे मंच पर पहुंचे तो देखा कि उनके लिए जो कुर्सी लगी है वो बाकी कुर्सियों से बड़ी है। उन्होंने तुरंत उस पर बैठने से मना कर दिया और vice-chancellor को उस पर बैठने का आग्रह किया। जब vice-chancellor भी नहीं बैठे तो same size की एक कुर्सी मंगाई गयी और तब सब लोग बैठ पाए।
  8. भारत के राष्ट्रपति होते हुए भी वो बिलकुल आम लोगों की तरह रहते हे। एक बार उन्होंने Yahoo पर एक प्रश्न पुछा –“What should we do to free our planet from terrorism?”आप इसे यहाँ देख सकते हैं। इस प्रश्न के उत्तर में बहुत से लोगों ने उत्तर दिया, जिनमे भारत की जान-मानी हस्तियां भी शामिल हैं।
  9. जब कोई प्रेसिडेंट बन जाता है तो सरकार उसकी सारी ज़रूरतों का ध्यान रखती है, पद से हटने के बाद भी। इसलिए डॉ. कलाम ने अपनी सारी सेविंग्स Providing Urban amenities in Rural Areas (PURA) initiative के लिए donate कर दीं।
  10. जब डॉ कलाम DRDO में थे तब उन्हें एक college event के लिए बतौर chief guest invite किया गया था। लेकिन डॉ कलाम ने रात में ही वेन्यू का चक्कर लगाने पहुँच गए, वहां जाकर उन्होंने कहा कि वो real hard working लोगों से मिलना चाहते थे इसलिए इस वक्त आ गए।
सचमुच Dr. A. P. J Abdul Kalaam जैसा व्यक्तित्व का इस धरती पर जन्म लेना भारत के लिए गौरव की बात है। आज उनकी जयंती के अवसर पर हम उन्हें शत-शत नमन करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए इस जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास करते हैं।

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