कविता - महात्मा गाँधी जी
कविता - महात्मा गाँधी जी
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कर रहे नमन हम बार-बार
युग करता फिर तेरी पुकार
बापू तेरी महिमा अपार
युग के विकास की गति मंद ।
जय हे गांधी ! हे करमचंद !!
भारत का अधनंगा फ़क़ीर
था कर्मवीर औ’ महावीर
परवशता की तोड़ी जंजीर
अब परवशता का द्वार बंद ।
जय हे गांधी ! हे करमचंद !!
अब देख देश होता विषाद
आते तुम बापू सदा याद
बढ़ता जाता पाश्चात्यवाद
हैं सब-के-सब पूरे स्वच्छंद ।
जय हे गांधी ! हे करमचंद !!
रोती सब जनता दिग्दिगन्त
समस्याओं का नहीं अन्त
दुर्दशा देश की है अत्यन्त
सद्धर्मी अब हुए चंद ।
जय हे गांधी ! हे करमचंद !!
संस्कृति पर आया संकट
लगती जाती पश्चिम की रट
क्या भरा नहीं अब पापघट
कहीं दिखता क्या अब पाबंद ?
जय हे गांधी ! हे करमचंद !!
है आख़िर वह गोपाल कहां
है पापीजन का काल कहां
अपराधारि नंदलाल कहां
आंखें क्या उसकी हुईं बंद !
जय हे गांधी ! हे करमचंद !!
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इस युग कि पहचान हैं गाँधी।।
चौराहों पर खड़े है गाँधी।
मैदानो के नाम है गाँधी।।
दीवारों पर टंगे है गाँधी।
पढने -पढ़ाने में है गाँधी।।
राजनीति में भी है गाँधी।
मज़बूरी का नाम हैगाँधी।।
टोपी कि एक ब्रांड है गाँधी।
वोट में गांधी ,नोट में गाँधी।।
अगर नहीं मिलते तो वह है।
जनमानस की सोच में गांधी।।
नाम -अलका
कक्षा - 5
अपना स्कूल धमीखेड़ा
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